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मुस्लिम सेवा संगठन के उपाध्यक्ष आकिब कुरैशी का बयान

मुस्लिम सेवा संगठन, उत्तराखंड सरकार द्वारा आगामी वर्ष में मदरसा बोर्ड को समाप्त कर तथा उत्तराखंड अल्प संख्यक शैक्षणिक संस्थाएं अधिनियम 2025 सरकार द्वारा पारित करने पर घोर विरोध करते हैं, यह अल्पसंख्यक समुदायों के शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता और अधिकारों को प्रभावित करता है। यह बिल भारत के संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 का सीधा उल्लंघन है, जिनमें अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा करने तथा अपने शिक्षा संस्थान स्थापित एवं संचालित करने का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है।

यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर, धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की मूल भावना के विरुद्ध है। इस बिल से न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान और सांस्कृतिक विरासत को आघात पहुँचेगा, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और धर्मनिरपेक्षता की भावना को भी कमजोर करेगा।

हम सरकार से मांग करते हैं कि—

1. इस बिल को तत्काल वापस लिया जाए।
2. अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों को उनके संवैधानिक अधिकारों के साथ संरक्षण और सहयोग दिया जाए।
3. शिक्षा व्यवस्था को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाए और सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जाएँ।
यदि सरकार ने इस पर शीघ्र कदम नहीं उठाया, तो हम शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक तरीकों से अपना विरोध दर्ज कराते रहेंगे।

आकिब कुरैशी
उपाध्यक्ष
मुस्लिम सेवा संगठन

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